• Episode - 15 My Choice
    Jan 9 2025


    Season : 01 Episode : 15 " My Choice " ( मेरा चुनाव ) . . " The Story of My Experiments with Truth " (The Autobiography of Mahatma Ghandhi) . . . In this chapter, Gandhi reflects on the choices he made during his early years, particularly the conflict between worldly ambitions and his pursuit of truth and self-discipline. He recounts incidents where he was torn between his duties toward his family and his commitment to personal vows, such as vegetarianism and the avoidance of indulgent pleasures. Gandhi emphasizes how every choice he made was a step toward self-purification and an experiment in living a principled life. He also illustrates how difficult yet crucial it was for him to choose simplicity over material comfort, highlighting the moral dilemmas that shaped his character. This chapter serves as a key turning point in Gandhi's journey toward becoming a seeker of truth and a firm believer in ethical living. His reflections underscore the importance of making deliberate, conscious choices in the quest for self-improvement. . . . . इस अध्याय में, गांधी अपने प्रारंभिक जीवन में किए गए चुनावों पर विचार करते हैं, विशेष रूप से सांसारिक महत्वाकांक्षाओं और सत्य एवं आत्म-अनुशासन की खोज के बीच के संघर्ष पर। वे कुछ ऐसे प्रसंगों का उल्लेख करते हैं, जहाँ वे परिवार के प्रति अपने कर्तव्यों और व्यक्तिगत व्रतों जैसे शाकाहार अपनाने तथा भोग-विलास से बचने के बीच उलझन में पड़ जाते हैं। गांधी बताते हैं कि कैसे प्रत्येक निर्णय आत्म-शुद्धि की दिशा में एक कदम था और एक सिद्धांत-आधारित जीवन जीने का प्रयोग था। वे यह भी स्पष्ट करते हैं कि भौतिक सुख-सुविधाओं के स्थान पर सरलता को चुनना उनके लिए कितना कठिन लेकिन महत्वपूर्ण था। यह अध्याय गांधी के जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ को दर्शाता है, जहाँ वे सत्य की खोज में पूरी तरह से समर्पित होते हैं और नैतिक जीवन के प्रति दृढ़ विश्वास रखते हैं। उनके विचार यह दिखाते हैं कि आत्म-सुधार की प्रक्रिया में सोच-समझकर किए गए निर्णय कितने आवश्यक होते हैं। . . . . . Buy Now 🛒 With Amazon : https://amzn.to/4eTTzrH

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    5 mins
  • Episode - 14 In London at Last
    Jan 6 2025


    Season : 01 Episode : 14 " In London at Last " ( आखिरकार लंदन में ) . . " The Story of My Experiments with Truth " (The Autobiography of Mahatma Ghandhi) . . . In this chapter, Mahatma Gandhi's experiences after arriving in London are presented. It describes the initial difficulties Gandhi faced after moving to London to study law, including his struggle with the unfamiliar culture, food, clothing, and lifestyle. Determined to become an English gentleman, Gandhi made efforts to wear fashionable clothes and learn Western manners. However, he soon realized that imitating British customs had no real value, and he shifted his focus to his studies while adopting a simple lifestyle. This chapter also reflects Gandhi's early experiments with vegetarianism, which he adopted firmly despite social pressures. It marks a crucial phase in his journey of self-exploration, laying the foundation for his future principles of simplicity, truth, and discipline. Would you like a more detailed analysis or a brief summary of the key events from this chapter? . . . . इस अध्याय में, महात्मा गांधी के लंदन पहुंचने के बाद के अनुभवों को प्रस्तुत किया गया है। इस अध्याय में गांधीजी के कानून की पढ़ाई के लिए लंदन जाने के बाद की प्रारंभिक कठिनाइयों का वर्णन है, जिसमें वहां की अजनबी संस्कृति, भोजन, पहनावे और जीवनशैली के प्रति उनका संघर्ष शामिल है। एक अंग्रेज़ सज्जन बनने के संकल्प के साथ, गांधीजी ने फैशनेबल कपड़े पहनने और पश्चिमी शिष्टाचार सीखने का प्रयास किया। हालांकि, जल्द ही उन्हें यह अहसास हो गया कि अंग्रेजी रीति-रिवाजों की नकल करने का कोई वास्तविक लाभ नहीं है, और उन्होंने अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करते हुए एक साधारण जीवनशैली अपनाई। यह अध्याय गांधीजी के शाकाहार के प्रति आरंभिक प्रयोगों को भी दर्शाता है, जिसे उन्होंने सामाजिक दबावों के बावजूद दृढ़ता से अपनाया। यह उनके आत्म-अन्वेषण की एक महत्वपूर्ण अवस्था थी, जिसने भविष्य में उनके सादगी, सत्यनिष्ठा और अनुशासन के सिद्धांतों की नींव रखी। क्या आप इस अध्याय का और विस्तार से विश्लेषण या मुख्य घटनाओं का संक्षिप्त विवरण चाहते हैं? . . . . . Buy Now 🛒 With Amazon : https://amzn.to/4eTTzrH

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    10 mins
  • Episode - 13 Caste Boycott
    Jan 1 2025


    Season : 01 Episode : 13 " Caste Boycott " ( जाति बहिष्कार ) . . " The Story of My Experiments with Truth " (The Autobiography of Mahatma Ghandhi) . . . In This Chapter, Mahatma Gandhi recounts his personal experience with the harsh realities of caste-based discrimination, triggered by his decision to travel to England for higher education. When Gandhi made the decision to go abroad, his community, bound by rigid caste rules, decided to impose a boycott on him, effectively excommunicating him from their fold. This chapter delves into the emotional and social turmoil that Gandhi faced as a result of this action. Despite the deep personal conflict, he remained firm in his resolve to pursue his studies. Gandhi reflects on the difficult position he found himself in, torn between his family's wishes and the societal expectations of caste purity. Through this experience, Gandhi begins to challenge the caste system and its restrictive hold on human lives, leading to his later lifelong commitment to fighting untouchability and caste oppression. The chapter highlights the internal and external struggles Gandhi faced as he grappled with social norms, setting the stage for his transformative journey of self-discovery and his future social reforms. . . . . इस अध्याय में, महात्मा गांधी अपनी जाति आधारित भेदभाव की कठोर वास्तविकताओं का व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हैं, जो इंग्लैंड उच्च शिक्षा के लिए यात्रा करने के उनके निर्णय से उत्पन्न हुआ। जब गांधी ने विदेश जाने का निर्णय लिया, तो उनके समुदाय ने, जो कठोर जाति नियमों से बंधा था, उनका बहिष्कार करने का निर्णय लिया, और उन्हें समाज से बहिष्कृत कर दिया। यह अध्याय उस मानसिक और सामाजिक उथल-पुथल को दर्शाता है जिसका गांधी को इस कार्य के परिणामस्वरूप सामना करना पड़ा। गहरी व्यक्तिगत दुविधा के बावजूद, उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखने का संकल्प बनाए रखा। गांधी उस कठिन स्थिति पर विचार करते हैं जिसमें वे अपने परिवार की इच्छाओं और जाति की शुद्धता के सामाजिक मानदंडों के बीच फंसे हुए थे। इस अनुभव के माध्यम से, गांधी ने जातिवाद और इसके जीवन पर पाबंदियों को चुनौती देना शुरू किया, जो बाद में उनके जीवन भर के उद्देश्य—अस्पृश्यता और जातिवाद के खिलाफ संघर्ष—की दिशा में अग्रसर हुआ। यह अध्याय गांधी के आंतरिक और बाह्य संघर्षों को उजागर करता है, जब वे सामाजिक मानदंडों से जूझ रहे थे, और उनके आत्म-खोज और भविष्य के सामाजिक सुधारों की यात्रा का मार्ग प्रशस्त करता है। . . . . . Buy Now 🛒 With Amazon : https://amzn.to/4eTTzrH

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    8 mins
  • Episode - 12 Preparation for Going to England
    Dec 28 2024


    Season : 01 Episode : 12 " Preparation for Going to England " ( इंग्लैंड जाने की तैयारी ) . . " The Story of My Experiments with Truth " (The Autobiography of Mahatma Ghandhi) . . . In this chapter, Preparation for Going to England, describes Mahatma Gandhi's challenges and efforts as he prepared to leave India for higher education. His mother’s concerns about maintaining religious practices and moral conduct abroad were significant hurdles. To reassure her, Gandhi pledged to abstain from meat, alcohol, and immoral behavior. He also faced opposition from his caste community, as crossing the seas was considered a breach of tradition, but Gandhi remained resolute in his decision. Financial arrangements and learning about English customs were part of his practical preparations. This chapter highlights Gandhi’s determination to pursue his goals despite societal and cultural barriers, showing his early resolve to balance personal growth with respect for family and faith. It marks a pivotal moment in his journey toward becoming a global figure of change. . . . . इस अध्याय में, इंग्लैंड जाने की तैयारी, महात्मा गांधी की चुनौतियों और प्रयासों का वर्णन करता है, क्योंकि वे उच्च शिक्षा के लिए भारत छोड़ने की तैयारी कर रहे थे। विदेश में धार्मिक प्रथाओं और नैतिक आचरण को बनाए रखने के बारे में उनकी माँ की चिंताएँ महत्वपूर्ण बाधाएँ थीं। उन्हें आश्वस्त करने के लिए, गांधी ने मांस, शराब और अनैतिक व्यवहार से दूर रहने की शपथ ली। उन्हें अपने जाति समुदाय से भी विरोध का सामना करना पड़ा, क्योंकि समुद्र पार करना परंपरा का उल्लंघन माना जाता था, लेकिन गांधी अपने फैसले पर अडिग रहे। वित्तीय व्यवस्था और अंग्रेजी रीति-रिवाजों के बारे में सीखना उनकी व्यावहारिक तैयारी का हिस्सा था। यह अध्याय सामाजिक और सांस्कृतिक बाधाओं के बावजूद अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए गांधी के दृढ़ संकल्प को उजागर करता है, जो परिवार और आस्था के सम्मान के साथ व्यक्तिगत विकास को संतुलित करने के उनके शुरुआती संकल्प को दर्शाता है। यह परिवर्तन के वैश्विक व्यक्ति बनने की दिशा में उनकी यात्रा में एक महत्वपूर्ण क्षण को चिह्नित करता है। . . . . . Buy Now 🛒 With Amazon : https://amzn.to/4eTTzrH

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    14 mins
  • Episode - 11 Glimpses of Religion
    Dec 23 2024
    Season : 01 Episode : 11 " Glimpses of Religion " ( धर्म की कुछ झलकियां ) . . " The Story of My Experiments with Truth " (The Autobiography of Mahatma Ghandhi) . . . In this chapter, Mahatma Gandhi delves into his early encounters with religious texts and spiritual teachings. He describes his growing curiosity about different faiths, including Hinduism, Christianity, and Islam, and how these shaped his understanding of religion as a unifying force. Through discussions with friends and reading sacred scriptures, Gandhi begins to develop a belief in the universal truths underlying all religions, laying the foundation for his later philosophy of inclusivity and tolerance. . . . . इस अध्याय में, महात्मा गांधी अपने शुरुआती धार्मिक ग्रंथों और आध्यात्मिक शिक्षाओं के अनुभवों का वर्णन करते हैं। वे हिंदू धर्म, ईसाई धर्म और इस्लाम सहित विभिन्न धर्मों के प्रति अपनी बढ़ती जिज्ञासा को बताते हैं और कैसे इनसे उनकी धर्म को एकता का माध्यम मानने की समझ विकसित हुई। दोस्तों के साथ चर्चाओं और धार्मिक ग्रंथों के अध्ययन के माध्यम से, गांधीजी ने सभी धर्मों में निहित सार्वभौमिक सत्य को मानने की भावना विकसित की, जिसने उनकी समावेशिता और सहिष्णुता की बाद की विचारधारा की नींव रखी। . . . . . Buy Now 🛒 With Amazon : https://amzn.to/4eTTzrH
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    12 mins
  • Episode - 10 My Father’s Death and My Double Shame
    Dec 21 2024


    Season : 01 Episode : 10 " My Father’s Death and My Double Shame " ( मेरे पिता की मृत्यु और मेरी दोहरी शर्म ) . . " The Story of My Experiments with Truth " (The Autobiography of Mahatma Ghandhi) . . . In this chapter, Gandhi recounts the death of his father and a profound moral failure that left a lasting impression on him. Summary :- Gandhi's father was gravely ill, and as a devoted son, Gandhi took up the responsibility of tending to him. He describes the moments of care and the emotional bond they shared during this period. However, one night, driven by his desires, Gandhi left his father’s side to spend time with his wife. Tragically, his father passed away during this time. The double shame he refers to is his inability to resist carnal desires and the guilt of not being by his father’s side at the time of his death. Themes and Reflection :- This chapter highlights Gandhi's early struggles with self-discipline and morality. He is candid about his human flaws and how these moments of weakness taught him valuable lessons about duty, self-control, and personal responsibility. The chapter serves as a turning point, as it marks the beginning of Gandhi's introspection into the deeper meanings of life and his commitment to self-improvement. Impact :- The chapter is a testament to Gandhi's honesty and his willingness to acknowledge and learn from his shortcomings. It reveals the profound impact of his father’s death and his moral lapse, which became a catalyst for his spiritual and ethical evolution. . . . . इस अध्याय में गांधी अपने पिता की मृत्यु और एक गहरे नैतिक दोष का वर्णन करते हैं, जिसने उन पर स्थायी प्रभाव डाला। सारांश :- गांधी के पिता गंभीर रूप से बीमार थे, और एक समर्पित पुत्र के रूप में गांधी ने उनकी देखभाल की जिम्मेदारी ली। वे उस समय की देखभाल और पिता के साथ बंधन के क्षणों का वर्णन करते हैं। लेकिन एक रात, अपनी इच्छाओं के वशीभूत होकर, गांधी अपने पिता के पास से हटकर अपनी पत्नी के साथ समय बिताने के लिए चले गए। दुर्भाग्यवश, उसी रात उनके पिता का निधन हो गया। "दोहरी शर्म" का तात्पर्य है, उनके वासनात्मक इच्छाओं को नियंत्रित न कर पाने और पिता की मृत्यु के समय उनके पास न होने का अपराधबोध। थीम और चिंतन :- यह अध्याय गांधी के आत्म-अनुशासन और नैतिकता के साथ प्रारंभिक संघर्षों को उजागर करता है। वे अपने मानवीय दोषों के बारे में ईमानदारी से बताते हैं और कैसे ये कमजोर क्षण उन्हें कर्तव्य, आत्म-संयम, और व्यक्तिगत जिम्मेदारी के महत्व का पाठ पढ़ाते हैं। यह अध्याय उनके जीवन में एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जहां से गांधी ने जीवन के गहरे अर्थों की ओर और आत्म-सुधार की दिशा में कदम बढ़ाया। प्रभाव :- यह अध्याय गांधी की ईमानदारी और अपनी कमियों को स्वीकारने और उनसे सीखने की क्षमता का प्रतीक है। यह उनके पिता की मृत्यु और उनके नैतिक दोष का गहरा प्रभाव दर्शाता है, जिसने उनके आध्यात्मिक और नैतिक विकास के लिए प्रेरणा का काम किया। . . . . . Buy Now 🛒 With Amazon : https://amzn.to/4eTTzrH

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    9 mins
  • Episode - 09 Stealing And Atonement
    Dec 19 2024


    Season : 01 Episode : 09 " Stealing and Atonement " ( चोरी और प्रायश्चित ) . . " The Story of My Experiments with Truth " (The Autobiography of Mahatma Ghandhi) . . . In this chapter, Mahatma Gandhi narrates a deeply personal incident from his childhood that left a lasting impact on his character. Gandhi recounts how, influenced by peer pressure and curiosity, he stole a small amount of gold from his brother's armlet to pay off a debt. The act of theft filled him with immense guilt and shame, as it went against his moral principles. Unable to bear the weight of his wrongdoing, Gandhi decided to confess his theft to his father. He wrote down his confession in a letter, detailing his misdeed and expressing deep remorse, while also pledging to never commit such an act again. Upon reading the letter, his father was moved to tears, but instead of punishing Gandhi, he forgave him. This act of forgiveness deeply moved Gandhi and taught him a powerful lesson about the virtues of truth, repentance, and compassion. This chapter emphasizes Gandhi's early understanding of truth as the cornerstone of a moral life. It highlights his commitment to honesty and his realization that atonement, through confession and a sincere pledge to reform, is a vital step toward personal growth and redemption. This incident played a pivotal role in shaping his lifelong dedication to truth and nonviolence. . . . . इस अध्याय में, महात्मा गांधी अपने बचपन की एक गहरी और व्यक्तिगत घटना का वर्णन करते हैं, जिसने उनके चरित्र पर एक अमिट प्रभाव डाला। गांधी बताते हैं कि कैसे दोस्तों के प्रभाव और जिज्ञासा के कारण उन्होंने अपने भाई के कड़े से थोड़ी-सी सोने की चोरी की ताकि एक कर्ज चुका सकें। यह चोरी उनके नैतिक मूल्यों के विरुद्ध थी, और इस कृत्य ने उन्हें अपराधबोध और शर्म से भर दिया। अपने अपराध का बोझ सहन न कर पाने पर गांधी ने अपने पिता के सामने अपना अपराध स्वीकार करने का निर्णय लिया। उन्होंने एक पत्र लिखकर अपने किए गए कृत्य का पूरा विवरण दिया, अपनी गहरी आत्मग्लानि व्यक्त की और यह संकल्प लिया कि वह कभी दोबारा ऐसा कार्य नहीं करेंगे। उनके पिता ने जब यह पत्र पढ़ा तो उनकी आँखों में आँसू आ गए, लेकिन उन्होंने गांधी को दंडित करने के बजाय क्षमा कर दिया। उनके पिता की इस क्षमा ने गांधी को गहराई से प्रभावित किया और उन्हें सत्य, प्रायश्चित और करुणा के महत्व का एक महत्वपूर्ण पाठ सिखाया। यह अध्याय गांधी की सत्य के प्रति शुरुआती समझ को दर्शाता है, जिसे उन्होंने नैतिक जीवन का आधार माना। यह उनकी ईमानदारी की प्रतिबद्धता और यह एहसास भी उजागर करता है कि प्रायश्चित, जिसमें सच्चा आत्मस्वीकृति और सुधार का संकल्प शामिल है, व्यक्तिगत विकास और आत्म-उद्धार की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। यह घटना उनके जीवन भर के सत्य और अहिंसा के प्रति समर्पण के निर्माण में एक निर्णायक भूमिका निभाती है। . . . . . Buy Now 🛒 With Amazon : https://amzn.to/4eTTzrH

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    9 mins
  • Episode - 08 A Tragedy (Contd.)
    Dec 17 2024

    Season : 01 Episode : 08 " A Tragedy (Contd.) " ( एक शोकपूर्ण घटना-2 ) . . " The Story of My Experiments with Truth " (The Autobiography of Mahatma Ghandhi) . . . In this chapter, Gandhiji recounts his early experiences and misconceptions related to non-vegetarianism. Reflecting on his adolescence, he describes how he developed an inclination toward eating meat and the moral and social conflicts it triggered within him. Gandhiji writes that a friend convinced him that eating meat enhances physical strength and courage and argued that India's subjugation was due to Indians not consuming meat. Influenced by this reasoning, Gandhiji attempted to eat meat, but it turned out to be a deeply challenging experience for him. He consumed meat secretly, but this act left him with a profound sense of guilt for deceiving his parents. Gandhiji acknowledged that eating meat was against his values and his mother's sentiments. This inner conflict made it impossible for him to continue the practice, and he eventually gave it up. This incident played a significant role in shaping his perspective on truth and morality, making them more resolute and clear. This chapter highlights the moral struggles in Gandhiji's life and the early stages of his quest for truth. It shows how his personal experiences guided him toward choosing the path of truth and non-violence. . . . . इस अध्याय में, गांधीजी ने मांसाहार से जुड़े अपने शुरुआती अनुभवों और भ्रमों का उल्लेख किया है। इस अध्याय में उन्होंने अपने किशोरावस्था के समय को याद करते हुए बताया है कि कैसे मांस खाने के प्रति उनका रुझान हुआ और इसे लेकर उनके भीतर नैतिक और सामाजिक संघर्ष उत्पन्न हुए। गांधीजी ने लिखा है कि एक मित्र ने उन्हें विश्वास दिलाया कि मांस खाना शारीरिक शक्ति और साहस को बढ़ाता है और भारत की गुलामी का कारण यह है कि भारतीय लोग मांस नहीं खाते। इस तर्क से प्रभावित होकर, गांधीजी ने मांस खाने का प्रयास किया, लेकिन यह उनके लिए एक संघर्षपूर्ण अनुभव था। उन्होंने चुपके से मांस खाया, लेकिन इसके कारण उन्हें अपने माता-पिता को धोखा देने का गहरा अपराधबोध महसूस हुआ। गांधीजी ने स्वीकार किया कि मांस खाना उनके संस्कारों और उनकी माता की भावनाओं के खिलाफ था। इस कारण वे लंबे समय तक इसे जारी नहीं रख सके और अंततः इसे छोड़ दिया। इस घटना ने उनके जीवन में सच्चाई और नैतिकता के प्रति उनके दृष्टिकोण को और अधिक स्पष्ट और दृढ़ बनाया। यह अध्याय गांधीजी के जीवन में नैतिक संघर्षों और उनके सत्य की खोज के शुरुआती चरणों को दर्शाता है। यह दिखाता है कि कैसे उन्होंने अपने व्यक्तिगत अनुभवों से सीखते हुए सत्य और अहिंसा की राह चुनी। . . . . . Buy Now 🛒 With Amazon : https://amzn.to/4eTTzrH

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    10 mins