• Tribal mythology: Oraon Shristi Katha

  • Nov 9 2024
  • Length: 4 mins
  • Podcast

Tribal mythology: Oraon Shristi Katha

  • Summary

  • उरांव जनजाति की सृष्टि की उत्पत्ति की कथा एक गहरी आस्था और सांस्कृतिक धरोहर को प्रदर्शित करती है। यह कथा उनकी मान्यताओं, परंपराओं और प्रकृति के साथ उनके गहरे संबंध को दर्शाती है। उरांव लोगों के अनुसार, उनकी उत्पत्ति धरती माता और जल देवता की कृपा से हुई थी। कथा के अनुसार, प्रारंभ में धरती पर केवल जल ही जल था। कोई भूमि, पर्वत, वनस्पति या जीवन नहीं था। उस समय केवल धरती माता और जल देवता का अस्तित्व था, जो पूरे ब्रह्मांड पर शासन करते थे। धरती माता को ब्रह्मांड का सृजन करने का विचार आया। उन्होंने जल देवता से कहा कि वे ऐसी भूमि का निर्माण करना चाहती हैं जहां जीवन संभव हो सके। जल देवता ने उन्हें इस कार्य की अनुमति दी और कहा कि वे इसमें उनका सहयोग करेंगे। जल देवता ने जल को कुछ समय के लिए स्थिर किया, ताकि उसमें से कुछ हिस्से को भूमि के रूप में परिवर्तित किया जा सके। धीरे-धीरे, धरती पर भूमि के छोटे-छोटे टुकड़े प्रकट होने लगे, और इन टुकड़ों पर पेड़-पौधों का निर्माण हुआ। इस प्रकार, धरती माता ने धरती को जीवन के लिए उपयुक्त बनाने के प्रयास किए। एक अन्य मान्यता के अनुसार, उरांव लोग मानते हैं कि उनके पूर्वज भूमिगत गुफाओं में रहते थे। इस कथा में कहा जाता है कि उरांव जनजाति के पहले लोग धरती के नीचे एक विशाल गुफा में रहते थे। वहां पर उनके पास जीवन की सभी आवश्यक चीजें थीं। लेकिन, समय के साथ वे उस स्थान को छोड़कर धरती पर आना चाहते थे। उन्होंने एक मार्ग खोजा और सूर्य की रोशनी की दिशा में यात्रा शुरू की। जब वे धरती पर आए, तो उन्होंने पहली बार सूर्य की रोशनी देखी और उसके तेज से चकित हो गए। उन्होंने सूर्य को एक शक्ति के रूप में देखा और उसे अपने जीवन का आधार माना।
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