• Santhal Dharm Sthali: Luguburu Ghanta badi dhorom ghad

  • Nov 9 2024
  • Length: 5 mins
  • Podcast

Santhal Dharm Sthali: Luguburu Ghanta badi dhorom ghad

  • Summary

  • झारखंड के बोकारो जिले में ललपनिया स्थित लुगुबुरु घांटाबाड़ी धोरोमगाढ़ संताली समुदाय की धार्मिक, सामाजिक और सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है। मान्यता है कि हजारों साल पहले यहाँ लुगु बाबा की अध्यक्षता में संताली समाज के जन्म से मृत्यु तक के सभी रीति-रिवाजों, जिन्हें संताली संविधान माना जाता है, का निर्माण हुआ था। यह स्थान संताली संस्कृति और परंपराओं का उद्गम स्थल है, जहाँ विभिन्न राज्यों से आए श्रद्धालु आकर आशीर्वाद पाते हैं। लुगुबुरु के मार्ग में कई विशेष चट्टानें हैं, जिन्हें श्रद्धालु खरोंच कर अपने साथ ले जाते हैं। इससे संताली समुदाय की लुगुबुरु के प्रति गहरी आस्था स्पष्ट होती है। संताली संस्कृति के हर अनुष्ठान और विधि में लुगुबुरु घांटाबाड़ी का विशेष स्थान है। 12 साल तक चली बैठक और संविधान रचना जानकारों के अनुसार, लाखों साल पहले दरबार चट्टानी में लुगुबुरु की अध्यक्षता में संताली समाज की 12 साल लंबी बैठक हुई थी। संताली गीतों में "गेलबार सिइंया, गेलबार इंदा" यानी 12 दिन और 12 रात का भी जिक्र है। इसी बैठक के दौरान संताली संस्कृति का आधार तय हुआ। इतने लंबे समय तक हुई इस बैठक के दौरान यहां फसलें उगाई गईं और धान कूटने के लिए चट्टानों का उपयोग किया गया, जिनके निशान आज भी यहां आधा दर्जन ओखल के रूप में मौजूद हैं। सात देवी-देवताओं की पूजा दरबार चट्टानी में पुनाय थान (मंदिर) है, जहाँ सबसे पहले मरांग बुरु और फिर लुगुबुरु, लुगु आयो, घांटाबाड़ी गो बाबा, कुड़ीकीन बुरु, कपसा बाबा और बीरा गोसाईं की पूजा होती है। लुगुबुरु घांटाबाड़ी धोरोमगाढ़ का स्थान लुगुबुरु घांटाबाड़ी झारखंड के बोकारो जिले के गोमिया प्रखंड से 16 किमी दूर ललपनिया में स्थित है। यह राज्य के दूसरे सबसे ऊँचे पर्वत लुगु पहाड़ पर है। यहां रांची से 80 किमी और बोकारो से 86 किमी की दूरी तय कर पहुंचा जा सकता है। लुगुबुरु घांटाबाड़ी की विशेषताएं यहां की यात्रा पूरी तरह पगडंडियों पर निर्भर है क्योंकि सीढ़ियाँ नहीं हैं। लुगु पहाड़ से दिखने वाले दृश्य मनमोहक हैं, ऊंची चोटियों से गिरते झरनों की मधुर ध्वनि और पक्षियों की चहचहाहट यहां की खासियत है। पर्वत की पगडंडियों पर चलते हुए कई प्राकृतिक झरने और पानी के नाले भी मिलते हैं, जिनका जल शुद्ध और पीने योग्य होता है। विशेष ...
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