• दिव्य चेतना में स्थित मनुष्य | भगवतगीता श्लोक
    Jan 30 2025

    श्रीकृष्ण कहते हैं: हे पार्थ! जब कोई मनुष्य स्वार्थयुक्त कामनाओं और मन को दूषित करने वाली इन्द्रिय तृप्ति से संबंधित कामनाओं का परित्याग कर देता है और आत्मज्ञान को अनुभव कर संतुष्ट हो जाता है तब ऐसे मानव को दिव्य चेतना में स्थित कहा जा सकता है।

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  • इस प्रकार मनुष्य प्रजाति करती है अपनी बुद्धि का विनाश | श्लोका- Everyday
    Jan 20 2025

    जिस प्रकार प्रचंड वायु अपने तीव्र वेग से जल पर तैरती हुई नाव को दूर तक बहा कर ले जाती है उसी प्रकार से अनियंत्रित इन्द्रियों मे से कोई एक जिसमें मन अधिक लिप्त रहता है, बुद्धि का विनाश कर देती है

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  • कौन है संसार का सर्वभक्षी शत्रु | श्लोका - Everyday
    Jan 13 2025

    अकेली काम वासना जो रजोगुण के सम्पर्क में आने से उत्पन्न होती है और बाद में क्रोध का रूप धारण कर लेती है, इसे पाप के रूप में संसार का सर्वभक्षी शत्रु समझो |

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  • क्या होती है पूर्ण ज्ञानावस्था, सुनिए श्लोक | श्लोका - Everyday
    Jan 8 2025

    जो सभी परिस्थितियों में अनासक्त रहता है और न ही शुभ फल की प्राप्ति से हर्षित होता है और न ही विपत्ति से उदासीन होता है वही पूर्ण ज्ञानावस्था में स्थित मुनि है।

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  • मुनियों के लिए होता है दिन अज्ञानता की रात्रि | श्लोका-Everyday
    Dec 24 2024

    जिसे सब लोग दिन समझते हैं वह आत्मसंयमी के लिए अज्ञानता की रात्रि है तथा जो सब जीवों के लिए रात्रि है, वह आत्मविश्लेषी मुनियों के लिए दिन है।

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  • योगीजन केवल अपने शुद्धिकरण के उद्देश्य से कर्म करते हैं | श्लोका- Everyday
    Dec 17 2024

    योगीजन आसक्ति को त्याग कर अपने शरीर, इन्द्रिय, मन और बुद्धि द्वारा केवल अपने शुद्धिकरण के उद्देश्य से कर्म करते हैं |

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  • आत्मा शाश्वत, सर्वव्यापी, अपरिर्वतनीय, अचल और अनादि है | श्लोका - Everyday
    Dec 4 2024

    आत्मा अखंडित और अज्वलनशील है, इसे न तो गीला किया जा सकता है और न ही सुखाया जा सकता है। यह आत्मा शाश्वत, सर्वव्यापी, अपरिर्वतनीय, अचल और अनादि है

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  • आइए जानते हैं वह कौन लोग है जो कृष्ण को नहीं भजते | श्लोका - Everyday
    Nov 28 2024

    चार प्रकार के लोग मेरी शरण ग्रहण नहीं करते-वे जो ज्ञान से वंचित हैं, वे जो अपनी निकृष्ट प्रवृति के कारण मुझे जानने में समर्थ होकर भी आलस्य के अधीन होकर मुझे जानने का प्रयास नहीं करते, जिनकी बुद्धि भ्रमित है और जो आसुरी प्रवृति के हैं।

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